प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक और हुंकार - सभी देश सदमे में
भारत और ईरान ने आतंकवाद, चरमपंथ से मिल कर निबटने की प्रतिबद्धता जतायी है. दोनों देशों ने रणनीतिक चाबहार बंदरगाह
के विकास के लिए महत्वपूर्ण समझौते के साथ ही 12 करारों पर दस्तखत किये.
इन करारों में व्यापार ऋण, संस्कृति, विज्ञान, प्रौद्योगिकी व रेलमार्ग में
सहयोग की बात है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तेहरान यात्रा के अंतिम दिन सोमवार को हुए इन समझौतों से दोनों देशों के आर्थिक भागीदारी को बल मिलेगा. व्यापारिक
व रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ईरान के दक्षिणी तट के चाबहार बंदरगाह के
विकास के लिए भारत 50 करोड़ डॉलर मुहैया करायेगा. ईरान के दक्षिणी तट पर
स्थित चाबहार भारत, अफगानसि्तान, रूसी राष्ट्रकुल देशों और पूर्वी यूरोप की
राह के लिए एक 'संपर्क स्थल' की भूमिका निभायेगा. यहीं वजह है कि
प्रधानमंत्री मोदी ने व ईरानी राष्ट्रपति रूहानी ने चाबहार समझौते को
ऐतिहासिक मोड़ माना.
मालूम
हो कि चाबहार ईरान के दक्षिणी तट पर ससि्तान-बलुचसि्तान प्रांत में पड़ता
है. भारत-ईरान 2003 में ही इसके लिए सहमत हुए थे, लेकिन ईरान के खिलाफ
पश्चिमी देशों की पाबंदियों के चलते इस पार बात आगे नहीं बढ़ सकी थी.
प्रधानमंत्री मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी
के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हम आतंकवाद, चरमपंथ, नशीली
दवाओं के व्यापार व साइबर अपराध के खतरों से निबटने के लिए एक-दूसरे को
सहयोग करने पर सहमत हुए हैं. भागीदारी के एजेंडे व दायरे को वास्तविक करार
देते हुए मोदी ने कहा कि जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं, उनसे हमारी
रणनीतिक भागीदारी में एक नया अध्याय जुड़ा है. कुल मिलाकर हमारे आर्थिक व
सांस्कृतिक संबंधों को बल मिला है.
मालूम हो कि मोदी 15 साल में
ईरान की द्विपक्षीय यात्रा पर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं.
उनसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ईरान यात्रा पर गये थे. रूहानी ने मोदी की
यात्रा के महत्व को बताते हुए कहा कि उनकी यह यात्रा ऐसे समय हुई है, जब
हमपर से प्रतिबंध हट चुके हैं. आतंकवाद को बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि
दोनों देश इस संबंध में खुफिया सूचनाओं को साझा करेंगे.
चाबहार : बढ़ेगा नेटवर्क, बचेगा वक्त
1 चाबहार दक्षिण पूर्व ईरान के ससि्तान-बलूचसि्तान प्रांत में स्थित एक
बंदरगाह है. इसके जरिये भारत, पाकसि्तान को बायपास करके अफगानसि्तान के लिए
रास्ता बनायेगा.
2 इसके जरिये भारतीय सामानों के ट्रांसपोर्ट का खर्च और समय एक तिहाई कम हो जायेगा.
3 ईरान मध्य एशिया में व हिंद महासागर के उत्तरी हसि्से में बसे बाजारों
तक आवागमन आसान बनाने के लिए इस पोर्ट को एक ट्रांजिट हब के तौर पर विकसित
कर सकेगा.
4 अरब सागर में पाकसि्तान ने ग्वादर पोर्ट
के जरिये चीन को सामरिक ठिकाना मुहैया कराया है, लिहाजा चाबहार को विकसित
करते ही भारत को समुद्री रास्ते से व्यापार-कारोबार बढ़ाने का मौका मिलेगा.
5 चाबहार से ईरान के मौजूदा रोड नेटवर्क को अफगानसि्तान में जरांज तक
जोड़ा जा सकता है. इस हाइवे से कंधार, काबुल, हेरात और मजार-ए-शरीफ जैसे
चार बड़े शहरों तक पहुंचना आसान हो जायेगा.
पुरुषोत्तम रूपला
भारतीय जनता पार्टी, गुजरात
भारतीय जनता पार्टी, गुजरात
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